Monday, August 15, 2011

गिद्ध की निगाहों में...

घूमती हैं 'लाल बत्तियाँ' इनकी हर राहों में,
देश का अरबों रुपया समेटे हैं अपनी बाँहों में|
भ्रष्टाचार के कीचड़ में इस कदर सन गया है लोकतंत्र,
मंदिरों की पूँजी भी है गिद्ध की निगाहों में||

Friday, August 12, 2011

भ्रष्टाचारियों की शामत है...

‘अंग्रेज़ों’ के बाद अब ‘भ्रष्टाचारियों’ की होनी शामत है,
‘लोकपाल’ गर न पास हुआ तो होनी क़यामत है|
जन -जन की आवाज आज राष्ट्र हित में ही उठी है,
आवाज़ है बुलंद मेरी हिन्दुस्तान की निज़ामत है||