




Monday, January 30, 2012
विनती स्वीकार दो मैया...
अंधियारे को प्रकाश की झन्कार दो मैया,
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Thursday, January 5, 2012
बिक गए...
नेकी, सच्चाई , ईमान बिक गए,
शराफत के सारे सामान बिक गए|
न मान न मर्यादा न धर्म न देश,
लगता है अब तो इन्सान बिक गए||
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Tuesday, January 3, 2012
आसमान में हैं...
आसमान में हैं बैठे दीवाने कितने,
एक चाँद के पीछे हैं मस्ताने कितने|
आवारा फिरते तारों की अज़ब कहानी है,
आँख मार बन रहे हैं अनजाने कितने||
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