आशाओं उम्मीदों से भरा नया साल हो, जीवन सबका खुशहाल हो.. ***-अच्छा गीत लिखा है, अगर ऐसा हो जाये तो कितना अच्छा होगा| नव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ, अनिल मिश्र
"मानवता की खुशबु से महक उठे संसार" nice quote. HAPPY NEW YEAR. We can expect to have such a beautiful new year. No way, Nice GEET. MUKTAK on ur blog are very entertaining.
मुश्किलें आती रहेन्गी, इनसे मत घबराइये / ये तो मौजे-हालिया है, इनसे मत डर जाइये // ये नया जो साल है, सन दो ह्जारी ग्यारह / आफतों से बचने का नुस्खा, कहीं से लाइये //
नव वर्ष की पावन बेला पर बहुत ही शानदार पंक्तियाँ, इसपर देशबंधु जी ने भी बड़ी अच्छी पंक्तियाँ सुनाई हैं| अच्छा लिखते हैं आप मानस जी| ब्लॉग पढ़ कर खुशी हुई,अपना प्रयास जरी रखें|
Shandaar rachna...nav varsh ki bahut bahut shubhkamnayein..kuch panktiyan- मेरे वजूद का रिश्ता ही आसमान से है न जाने क्यूँ उन्हें शिकवा मेरी उड़ान से है
मुझे ये ग़म नहीं शीशा हूँ हश्र क्या होगा मेरी तो जंगे-अना ही किसी चट्टान से है
सभी ने की है शिकायत तो ज़ुल्म की मुझ पर मगर ये सारी शिकायत दबी ज़बान से है
मैं जानता था सज़ा तो मुझे ही मिलनी थी मुझे तो सिर्फ़ शिकायत तेरे बयान से है
भरे घरों को जला कर यूँ झूमने वालों तुम्हारा रिश्ता भी आख़िर किसी मकान से है
हमें ज़माना ये कैसी जगह पे ले आया ज़मीं से है कोई रिश्ता न आसमान से है
बेहतरीन अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteआशाओं उम्मीदों से भरा नया साल हो,
ReplyDeleteजीवन सबका खुशहाल हो..
***-अच्छा गीत लिखा है, अगर ऐसा हो जाये तो कितना अच्छा होगा| नव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ,
अनिल मिश्र
"मानवता की खुशबु से महक उठे संसार" nice quote. HAPPY NEW YEAR. We can expect to have such a beautiful new year. No way, Nice GEET. MUKTAK on ur blog are very entertaining.
ReplyDeleteHa bhai eisa hi ho. bahut sahi.
ReplyDeleteमुश्किलें आती रहेन्गी, इनसे मत घबराइये /
ReplyDeleteये तो मौजे-हालिया है, इनसे मत डर जाइये //
ये नया जो साल है, सन दो ह्जारी ग्यारह /
आफतों से बचने का नुस्खा, कहीं से लाइये //
नव वर्ष की पावन बेला पर बहुत ही शानदार पंक्तियाँ, इसपर देशबंधु जी ने भी बड़ी अच्छी पंक्तियाँ सुनाई हैं|
ReplyDeleteअच्छा लिखते हैं आप मानस जी|
ब्लॉग पढ़ कर खुशी हुई,अपना प्रयास जरी रखें|
सुन्दर भाव!
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनाएं!
Shandaar rachna...nav varsh ki bahut bahut shubhkamnayein..kuch panktiyan-
ReplyDeleteमेरे वजूद का रिश्ता ही आसमान से है
न जाने क्यूँ उन्हें शिकवा मेरी उड़ान से है
मुझे ये ग़म नहीं शीशा हूँ हश्र क्या होगा
मेरी तो जंगे-अना ही किसी चट्टान से है
सभी ने की है शिकायत तो ज़ुल्म की मुझ पर
मगर ये सारी शिकायत दबी ज़बान से है
मैं जानता था सज़ा तो मुझे ही मिलनी थी
मुझे तो सिर्फ़ शिकायत तेरे बयान से है
भरे घरों को जला कर यूँ झूमने वालों
तुम्हारा रिश्ता भी आख़िर किसी मकान से है
हमें ज़माना ये कैसी जगह पे ले आया
ज़मीं से है कोई रिश्ता न आसमान से है
Nav Varsh ki mangal kamnayein...Bahut hi acchi vandana.
ReplyDeleteHi Nice post and blog I d be coming to read more :-D
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