Saturday, November 12, 2011

'मानस' नहीं 'मानसी' होते...

हमारे एक मित्र Naser Khan जी नें एक रचना पर अनोखी टिपण्णी की-


"HAR BAT ALAG HAI TUMHARI,,,KASH KE TUM MANAS NA MANSI HOTE,,,JOKE"

उनके इस JOKE का जवाब मैंने कुछ इस प्रकार दिया-


"Naser भाई, पहले तो ये की,
तब हम 'होते' नहीं 'होती',
फिर कलम् चलाने की,
ज़रूरत नहीं होती|
सच तो ये है,
की आप ही कलम् चलाते,
और इससे पहले की,
अपने भाव हम तक पहुँचाते,
कई एक 'मानस' तो,
हम पर पूरा उपन्यास लिख जाते|"

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