'मानस' नहीं 'मानसी' होते...
हमारे एक मित्र Naser Khan जी नें एक रचना पर अनोखी टिपण्णी की-
"HAR BAT ALAG HAI TUMHARI,,,KASH KE TUM MANAS NA MANSI HOTE,,,JOKE"
उनके इस JOKE का जवाब मैंने कुछ इस प्रकार दिया-
"Naser भाई, पहले तो ये की,
तब हम 'होते' नहीं 'होती',
फिर कलम् चलाने की,
ज़रूरत नहीं होती|
सच तो ये है,
की आप ही कलम् चलाते,
और इससे पहले की,
अपने भाव हम तक पहुँचाते,
कई एक 'मानस' तो,
हम पर पूरा उपन्यास लिख जाते|"
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