Monday, January 30, 2012

विनती स्वीकार दो मैया...

अंधियारे को प्रकाश की झन्कार दो मैया,
ज्ञान की धारा को निश्चित आकार दो मैया|
ऋतु बसंत सी पुलकित हो जीवन की क्यारी-क्यारी,
गगन सा 'मानस' सज उठे, विनती स्वीकार दो मैया||

2 comments:

  1. Loved your style of writing... Cheers!

    ReplyDelete
  2. Useful info! I bookmarked it. Great Work..CHEERS!

    ReplyDelete