Wednesday, January 2, 2013

तब नव वर्ष मनाएं...


नेशनल पी.जी. कॉलेज, लखनऊ के वार्षिकोत्सव 'ओज-२०१२-१३' के अंतर्गत आयोजित 'काव्य लेखन प्रतियोगिता' में प्रथम-स्थान प्राप्त हुआ!



[caption id="attachment_1384" align="aligncenter" width="655"]काव्य-लेखन प्रतियोगिता, प्रथम पुरस्कार First Prize at National P.G. College, Lucknow[/caption]

जाते-जाते दिल को मेरे दे गया है घात,
‘नव वर्ष हो मुबारक’कही न जाए बात|
कही न जाए बात क्या गीत गुनगुनाएं,
कलुष मिटे हृदय का तब नव वर्ष मनाएं|


हो रहे घोटाले यहाँ हो रहे विवाद,
आंदोलन हुआ शून्य न हुआ कुछ बाद|
न हुआ कुछ बाद बस चीखे चिल्लाए,
भ्रष्टाचार मिटे हम तब नव वर्ष मनाएं|


दाम बढते-बढते वजन में भी चूना लगा,
Petrol-Diesel संग L.P.G. भी दगा|
L.P.G. भी दगा, भोजन कच्चा ही खाएं,
महंगाई पर लगे लगाम तब नव वर्ष मनाएं|


बेबस खड़ा है शेर मेमने के सामने,
पहले तो काटा हाथ फिर लगा है थामने|
फिर लगा है थामने ‘मानस’ सबको ये बताएं,
‘जैसे को मिले वैसा’ तब नव वर्ष मनाएं||

1 comment:

  1. aapki vagah se mere school ka homework ho gya. aapka dhanyvaad

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