Sunday, June 26, 2011

‎बादल जब न बरसे...

‎बादल जब न बरसे तो मन तरसे,
बरसे तो हो जाते हम बे-घर से|
जीवन की ये कैसी रीत निराली है,
मन मयूर नाचता देख 'मानस' हरसे||

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